वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत-ए-शैख़ अहमद ग़ज़ाली

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत-ए-शैख़ अबूबकर निसाज रहमतुह अल्लाह अलैहि के कामिल ख़लीफ़ा और नामवर मुरीद हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हुज्जता उल-इस्लाम शेख़ इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि के भाई हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की तसनीफ़ात-ओ-तालीफ़ात हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने कई उम्दा रिसाले लिखे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि कशफ़ वक्र उम्मत में बेमिसाल थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एक दिन एक शख़्स ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के भाई इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि का हाल पूछा कि वो कहाँ हैं तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने जवाब दिया कि वो उस वक़्त ख़ून में डूबे हुए हैं। साइल हैरान होगया और फ़ौरन इमाम साहिब की ख़िदमत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ की अल्लाह का शुक्र है कि अल्लाह का शुक्र है कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को सही और तंदरुस्त पाया जबकि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के भाई शेख़ अहमद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अभी अभी आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के बारे में बताया था कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ख़ून में ग़र्क़ हैं। में तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़िंदगी से नाउम्मीद होगया था। इमाम साहिब ने फ़रमाया मेरे भाई ने दरुस्त कहा था में उस वक़्त हैज़ वनफ़ास के एक मसला में मुसतग़र्क़ि था।

क़ज़वीन से एक सूफ़ी तोस में हुज्जता उल-इस्लाम इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में आया और उन से उन के भाई शेख़ अहमद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि का हाल पूछा। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि जो जानते थे बयान कर दिया। फिर इमाम ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया तुम्हारे पास अगर मेरे भाई शेख़ अहमद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि का कुछ कलाम हो तो मुझे मतला करो। इस मुलाक़ाती के पास जो कुछ था वो पेश कर दिया। हज़रत इमाम ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उसे पढ़ा और थोड़ी देर बाद फ़रमाया सुबहान अल्लाह जो में चाहता था वो शेख़ अहमद ग़ज़ाली रहमतुह अल्लाह अलैहि नेपालिया है।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सफ़ीनता उल-औलीया के मुताबिक़ ५७०हिज्री जबकि नफ़हात एलानस के मुताबिक़ ५१७हिज्री में इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की आख़िरी आरामगाह क़ज़वीन ईरान में वाक़्य है।